हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कुद्स मुसलमानों की जीवनदायिनी है। इसे छोड़ना अपने अस्तित्व को समाप्त करने के समान है। जिस तरह काबा आज हमारी पहचान है, उसी तरह पहला किबला भी हमारी पहचान है। आने वाले जुमा को सभी मुसलमान जहा जिस प्रकार संभव हो कुद्स का समर्थन और गासिब से बराअत का इजहार करें। इस बात का इजहार मजलिस उलेमा-ए-हिंद की शाखा कुम के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद अहमद रज़ा जुरारा ने अपने एक बयान मे किया।
उन्होंने कहा कि उत्पीड़ित फिलिस्तीनियों के साथ सहानुभूति व्यक्त करना ही कूना लिज़्ज़ालिमा खसमन वल मज़लूमो औना की व्याख्या है। आज, अलावी शिक्षाओं से दूरी ने हमें अपमान और ज़िल्लत के मुहाने पर ला कर खड़ा कर दिया है। अन्यथा हमारा अतीत बहुत उज्जवल और चमकदार था और आने वाला समय भी अतीत के परेशान पन्ने पलट सकते है अगर अलवी शिक्षाओ का पालन करे।
आइए हम एक साथ प्रतिज्ञा करें कि अलावी शिक्षाओं के प्रकाश में, हम कभी भी उत्पीड़ितों का पक्ष नहीं छोड़ेंगे और उत्पीड़क के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे।